कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर जीवन-परिचय Board परीक्षा 2025 12 class

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कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर जीवन-परिचय UP Board परीक्षा 2025 12 class 

हेल्लो दोस्तो आज हम 12 class UP Board परीक्षा के लिए जीवन परिचय 2025 में पेपर में जरूर शामिल हैं कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर जीवन-परिचय UP Board परीक्षा 2025 12 class 

जीवन-परिचय

 

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म सन् 1906 ई० में देवबन्द (सहारनपुर) के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० रमादत्त मिश्र था। वे कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे। प्रभाकर जी की आरम्भिक शिक्षा ठीक प्रकार से नहीं हो पाई। क्योकि इनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इन्होंने कुछ समय तक खुर्जा की संस्कृत पाठशाला में शिक्षा प्राप्त की। वहाँ पर राष्ट्रीय नेता आसफ अली का व्याख्यान सुनकर ये इतने अधिक प्रभावित हुए कि परीक्षा बीच में ही छोड़कर चले आए और राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े। तत्पश्चात् इन्होंने अपना शेष जीवन राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित कर दिया। भारत के स्वतन्त्र होने के बाद इन्होंने स्वयं को पत्रकारिता में लगा दिया। लेखन के अतिरिक्त अपने वैयक्तिक स्नेह और सम्पर्क से भी इन्होंने हिन्दी के अनेक नए लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। 9 मई, 1995 ई० को इस महान् साहित्यकार का निधन हो गया।

 

साहित्यिक परिचय

 

हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रकारों, संस्मरणकारों और निबन्धकारो में प्रभाकरजी का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाओं में कलागत आत्मपरकता, चित्रात्मकता और संस्मरणात्मकता को ही प्रमुखता प्राप्त हुई है। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकरजी को अभूतपूर्व सफलता मिली।

 

स्वतन्त्रता आन्दोलन के दिनों में इन्होंने स्वतन्त्रता सेनानियों के

लेखक-परिचय : एक दृष्टि में

 

  • नाम पिता का नाम जन्म : पं० रमादत्त मिश्र।
  • • कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।
  • सन् 1906 ई०।
  • जन्म स्थान प्रारम्भिक शिक्षा : सम्पादन
  • लेखन-विधा भाषा-शैली
  • प्रमुख रचनाएँ: देवबन्द (सहारनपुर)।खुर्जा। ‘नया जीवन’ और ‘विकास’ (समाचार पत्र)।: गद्य-साहित्य।
  • भाषा- तत्समप्रधान, शुद्ध और
  • साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली-भावात्मक, वर्णनात्मक,नाटकीय।
  • आकाश के तारे, धरती के फूल, माटी हो गई सोना, जिन्दगी मुस्कराई।
  • निधन साहित्य में स्थान सन 1995 ई०। :

स्वतन्त्रता आन्दोलन के दिनों में इन्होंने स्वतन्त्रता सेनानियों के अनेक मार्मिक संस्मरण लिखे। संस्मरण, रिपोर्ताज और पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकर जी की सेवाएँ चिरस्मरणीय हैं। कृतियाँ प्रमाकरजी के कुल 9 ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं-

 

रेखाचित्र-नई पीढ़ी के विचार, जिन्दगी मुस्कराई, माटी हो गई सोना, भूले-बिसरे चेहरे। लघु कथा-आकाश के तारे, धरती के फूल।

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